मांग की सिन्दूर रेखा
मांग की सिन्दूर रेखा तुमसे ये पूछेगी कल~~~~ यु मुझे सर पर सजाने का तुम्हे अधिकार क्या है
तुम कहोगी वो समर्पण - बचपना था तो कहेगी
~~~~ गर वो सब कुछ बचपना था तो कहो फिर प्यार क्या है
कल कोई अल्हड -अयाना बावरा झोंका पवन का
~~~~ जब तुम्हारे एन्गीतो पर गंध भर देगा चमन में
या कोई चंदा धरा का रूप का मारा बेचारा
~~~~ कल्पना के तार से नक्षत्रा जड़ देगा गगन पर
तब यही बिछुवे महावर चूड़िया गजरे कहेंगे
~~~~ इस अमर सोभाग्य के श्रृंगार का आधार क्या है
कल कोई दिनकर विजय का सेहरा सर पर सजाये
~~~~ जब तुम्हारी सप्तवर्णी छांह में सोने चलेगा
या कोई हारा थका व्याकुल सिपाही जब तुम्हारे
~~~~वक्ष पर ले शीश हिचकिय रोने चलेगा
तब किसी तन पर कासी दो बांह जुड़ कर पुच लेंगी
~~~~ इस प्रणय जीवन समर में जीत क्या हे हार क्या है ...........
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