Tuesday, October 18, 2011

लम्हे दिल के ....

नमस्कार दोस्तों!
मित्रो फूलों की खुशबू को रूह में बसाकर, बहारों की रंगत से सपने सजाकर, जज़बात को समेटे अपने अंजुमन में, कुछ लम्हे दिल के सायद कुछ ऐसा ही बयाँ करते होंगे ......पढियेगा मस्ती के साथ और आप भी बयाँ करें इन लम्हों को ............

आँखों में आज कोई सपना उभरने लगा है
जहाँ भी जाये निगाहे , ख़ामोशी का आलम पसारने लगा ह ………..

बात उसके अलावा किसीसे करना अच्छा लगता नही
बात गर उससे न हो तो मनन भी कहीं लगता नही ……….


उसी की तस्वीर हमने इन निगाहों में बसा रखी ह
नज़रे उसकी राहों में ही अब हमने bicha राखी है………….

मिलने की तमन्ना अब दिन ब दिन बढ़ने लगी है
बेसब्री न जाने क्यों इस कदर मेरी अब बढ़ने लगी है ………….

दीदार जिस दिन हो जायेगा इन निगाहों को
एक मंजिल पाने का रास्ता मिल जायेगा इस ज़िन्दगी को …………..

तो मित्रो जियो इन मस्ती भरे लम्हों के साथ .........आपका दिन मंगलमय हो !!!!!
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>राधे -राधे >>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>

फन से किसका रिश्ता है

नमस्कार दोस्तों
मित्रो आज भारत की स्थिति क्या हो गयी है..कहते है अगर किसी देश की शिक्षा और सुरक्षा दोनों सुव्यवस्थित और मौलिक होगी तो वह राष्ट्र स्वयं ही अग्रणी हो जायेगा इसका श्रेष्ठ उदाहरण विश्व में केवल एक देश ही हो सकता है और वो है जापान...दोस्तों भारत मैं शिक्षा व्यवसाय बन चुकी है...चिकित्सक चोर बन गए है..प्राथमिक सुरक्षा की जिम्मेदार हमारी पुलिस खुद आतंक फैला रही है..और भ्रष्टाचार के तो वारे ही न्यारे है... सोचिये दोस्तों यही हाल रहा तो क्या होगा हमारे सपनो का क्या होगा डॉ. कलाम के (mission2020 ) का ..मेरे सोचना है दोस्तों की खुद को बदलने की जरुरत है क्यों कि ये साड़ी व्यवस्था अपनी ही बनाई हुई है..चाहे वो पुलिस वाला हो या शिक्षक हो या चिकित्सक है तो हम में से ही कोई एक...तो दोस्तों परिवर्तन का समय अब आ गया है..और हम स्वयं में बदलाव के जरिये इस व्यवस्था को परिवर्तित कर सकते है....जैसा कि कहा गया है...."खुद बदलोगे जग बदलेगा ...खुद सुधरोगे जग सुधरेगा " मित्रो में आपसे अपनी कुछ पंक्तिया यहाँ share कर रहा हूँ " फन से किसका रिश्ता है " जो आप को सूचित कर रही है वर्तमान परिस्थितियों के बारे मैं ..........और हां कुछ सन्देश मिले तो जरुर सूचित करियेगा.......

कौन यहाँ अब पूछे फ़न को,आज कहाँ यह दिखता है
नाम बिके हैं महफ़िल-महफ़िल, फ़न से किस का रिश्ता है

जोंक बनें हैं आज चिकित्सक ,खून सभी का चूसे हैं
उनके दवाखानों में भी नित, मौत का तांडव होता है

खेल, खिलाड़ी, अभिनेता को, लोग बिठाते सर-माथे
वीर जवानों की कुर्बानी, मोल बहुत ही सस्ता है

चावल, गेहूँ, सब्जी, दालें, गायब हो गए थाली से
दाम गिरे मोबाइल, सिम के,पेट क्या इनसे भरता है

शांति, सुरक्षा, खुशहाली का राज तो अब इक सपना है
पाप पले अब थानों में आतंक पुलिस का रहता है.....

तो कुछ आभास तो हुआ होगा आपको कि ये वो सच है जो जुठ्लाये नहीं जा सकते और हम लोगो को इसे १ चुनोती के रूप में स्वीकार करना है...और करनी है स्वच्छ और सुंदर सामाजिक व्यवस्था कि स्थापना .............

"सुभ संध्या मित्रो !"
>>>>राधे राधे >>>>